श्रावस्ती। परिषदीय स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य किए जाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का विरोध अब तेज़ हो गया है। सोमवार की शाम जिले के सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकाओं ने कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन करते हुए सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार की मांग की।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ श्रावस्ती इकाई के नेतृत्व में जुटे शिक्षकों ने उपजिलाधिकारी ओम प्रकाश गुप्ता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू याचिका दाखिल कर फैसले में संशोधन की मांग की गई। शिक्षकों का कहना था कि 2011 से पहले की भर्तियों में उस समय लागू नियमों के आधार पर ही चयन हुआ था। ऐसे में लगभग 15 वर्ष बाद शिक्षकों पर टीईटी की अनिवार्यता थोपना अन्यायपूर्ण है।
महासंघ के जिलाध्यक्ष नील मणि शुक्ल ने कहा कि शिक्षकों ने नियमों का पालन कर सेवा ग्रहण की थी। अब टीईटी को बाध्यकारी बनाना उन शिक्षकों की आजीविका और सेवा सुरक्षा दोनों पर संकट खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि सरकार को शिक्षकों के हित को ध्यान में रखते हुए न्यायालय में प्रभावी ढंग से पक्ष रखना चाहिए। महामंत्री प्रकाश चन्द्र मिश्र ने आरोप लगाया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में शिक्षकों का पक्ष सही ढंग से नहीं रख सकी, जिसका खामियाजा अब हजारों शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने तत्काल इस मुद्दे पर ठोस कदम नहीं उठाए तो शिक्षक बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
इस मौके पर जिला संयुक्त महामंत्री राजकुमार सिंह चौहान, जयशंकर त्रिपाठी, प्रदीप पटेल, जीतेन्द्र द्विवेदी, अजय वर्मा, रणविजय मिश्रा, संतोष मिश्रा, अमरेश आर्य, सुभाष चन्द्र गुप्ता, अंकित मिश्रा, महेश मिश्रा, करुणाकर पांडे, दीपक केसरवानी, कर्मवीर राणा, अंशु रानी, अनुपम शर्मा, पल्लवी तथा सरिका गुप्ता सहित सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकाएं कलेक्ट्रेट पर मौजूद रहीं। प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया कि उनका संघर्ष केवल शिक्षकों के भविष्य की सुरक्षा के लिए है और वे चाहते हैं कि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर तत्काल पहल करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करे।